Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a5024033bebc5337918636ed6aeef2d8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नया मय-कदे में निज़ाम आ गया - अली जव्वाद ज़ैदी कविता - Darsaal

नया मय-कदे में निज़ाम आ गया

नया मय-कदे में निज़ाम आ गया

उठीं बंदिशें इज़्न-ए-आम आ गया

नज़र में वो कैफ़-ए-दवाम आ गया

कि गोया किसी का पयाम आ गया

मोहब्बत में वो भी मक़ाम आ गया

कि मिज़्गाँ पे ख़ूँ लब पे नाम आ गया

सर-ए-राह काँटे बिछाता है शौक़

जुनूँ को भी कुछ एहतिमाम आ गया

न इल्ज़ाम उन पर न अग़्यार पर

ये दिल आप ही ज़ेर-ए-दाम आ गया

बदल ही गया बज़्म-ए-इशरत का रंग

मिरा नग़्मा-ए-दर्द काम आ गया

किधर से ये सनकी महकती हवा

किधर से वो नाज़ुक-ख़िराम आ गया

तमाशा नहीं था मिरा इज़्तिराब

कोई क्यूँ ये बाला-ए-बाम आ गया

बयाँ हो रहा था फ़साना मिरा

मगर बार-बार उन का नाम आ गया

कभी सामने कुछ ख़मोशी रही

कभी दूर से कुछ पयाम आ गया

जो दार-ओ-रसन से भी रुकता नहीं

सरों में वो सौदा-ए-ख़ाम आ गया

वो 'ज़ैदी' वही रिंद-ए-आतिश-नवा

वो ज़िंदा दिलों का इमाम आ गया

(695) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Naya Mai-kade Mein Nizam Aa Gaya In Hindi By Famous Poet Ali Jawwad Zaidi. Naya Mai-kade Mein Nizam Aa Gaya is written by Ali Jawwad Zaidi. Complete Poem Naya Mai-kade Mein Nizam Aa Gaya in Hindi by Ali Jawwad Zaidi. Download free Naya Mai-kade Mein Nizam Aa Gaya Poem for Youth in PDF. Naya Mai-kade Mein Nizam Aa Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Naya Mai-kade Mein Nizam Aa Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.