शाम घर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

शाम घर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

आस मर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

वो परी एक दिन छोड़ कर जो मुझे

चाँद पर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

तू जिधर जाएगी जाऊँगा मैं उधर

तू किधर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

ज़िंदगी तेरी तरह गुज़रता हूँ मैं

तू गुज़र जाएगी मैं किधर जाऊँगा

तेरा घर है इधर मेरा घर है खंडर

तो इधर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

तेरे वा'दे पे सब छोड़ आया हूँ मैं

तू मुकर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

एक दिन ये तबीअ'त मिरी जान-ए-जाँ

तुझ से भर जाएगी मैं किधर जाऊँगा

(2057) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sham Ghar Jaegi Main Kidhar Jaunga In Hindi By Famous Poet Ali Imran. Sham Ghar Jaegi Main Kidhar Jaunga is written by Ali Imran. Complete Poem Sham Ghar Jaegi Main Kidhar Jaunga in Hindi by Ali Imran. Download free Sham Ghar Jaegi Main Kidhar Jaunga Poem for Youth in PDF. Sham Ghar Jaegi Main Kidhar Jaunga is a Poem on Inspiration for young students. Share Sham Ghar Jaegi Main Kidhar Jaunga with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.