अब कोई ग़म ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

अब कोई ग़म ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

ऐसा मौसम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

ज़ख़्म में दर्द नहीं है जो उठाए टीसें

आँख में नम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

चाँद नाराज़ नहीं है न सितारे हैं ख़फ़ा

रात बरहम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

मुझ में सब कुछ ही मुकम्मल है तो किस बात का दुख

कुछ कहीं कम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

तेरे होंटों से मिरे ज़ख़्म चहक उट्ठेंगे

ये वो मरहम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

ऐ मिरे ख़्वाब तू टूटे मैं नहीं टूटूँगा

तुझ में वो दम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

तेरे जाने पे भी अफ़्सुर्दा नहीं है कोई

तेरा मातम ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

(1063) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ab Koi Gham Hi Nahin Hai Jo Rulae Mujhko In Hindi By Famous Poet Ali Imran. Ab Koi Gham Hi Nahin Hai Jo Rulae Mujhko is written by Ali Imran. Complete Poem Ab Koi Gham Hi Nahin Hai Jo Rulae Mujhko in Hindi by Ali Imran. Download free Ab Koi Gham Hi Nahin Hai Jo Rulae Mujhko Poem for Youth in PDF. Ab Koi Gham Hi Nahin Hai Jo Rulae Mujhko is a Poem on Inspiration for young students. Share Ab Koi Gham Hi Nahin Hai Jo Rulae Mujhko with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.