अली अख़्तर अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अली अख़्तर अख़्तर
नाम | अली अख़्तर अख़्तर |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Akhtar Akhtar |
तुम ने हर ज़र्रे में बरपा कर दिया तूफ़ान-ए-शौक़
मुझी को पर्दा-ए-हस्ती में दे रहा है फ़रेब
गुफ़्तुगू-ए-सूरत-ओ-म'अनी है उनवान-ए-हयात
फ़रेब-ए-जल्वा कहाँ तक ब-रू-ए-कार रहे
चटक में ग़ुंचे की वो सौत-ए-जाँ-फ़ज़ा तो नहीं
ज़िंदगी क्या है जो दिल हो तश्ना-ए-ज़ौक़-ए-वफ़ा
हरीम-ए-काबा बना दी वो सर-ज़मीं मैं ने
हरीम-ए-का'बा बना दी वो सर-ज़मीं मैं ने
फ़रेब-ए-जल्वा कहाँ तक ब-रू-ए-कार रहे
दिल की आरज़ू थी दर्द दर्द-ए-बे-दवा पाया