बस्तियों वाले तो ख़ुद ओढ़ के पत्ते, सोए
दिल-ए-आवारा तुझे रात सँभाला किस ने
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
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ज़र्द फूलों में बसा ख़्वाब में रहने वाला
हुजूम-ए-गिर्या
सफ़ीर-ए-लैला-3
हिजाब आ गया था मुझ को दिल के इज़्तिराब पर
मुसीबत की ख़बरें
वो शख़्स अमर है, जो पीवेगा दो चाँदों के नूर
हवा के तख़्त पर अगर तमाम उम्र तू रहा
सुर्मा हो या तारा
धूप फैली तो कहा दीवार ने झुक कर मुझे
प्यासा ऊँट
कोई न रस्ता नाप सका है, रेत पे चलने वालों का