Ghazals of Ali Akbar Natiq
नाम | अली अकबर नातिक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Akbar Natiq |
जन्म की तारीख | 1976 |
मौत की तिथि | - |
ज़र्द फूलों में बसा ख़्वाब में रहने वाला
रो चले चश्म से गिर्या की रियाज़त कर के
क़ैद-ख़ाने की हवा में शोर है आलाम का
कसे कजावे महमिलों के और जागा रात का तारा भी
कँवल हों आब में ख़ुश गुल सबा में शाद रहें
हवा के तख़्त पर अगर तमाम उम्र तू रहा
हरीम-ए-दिल, कि सर-ब-सर जो रौशनी से भर गया
ग़ुंचा ग़ुंचा हँस रहा था, पती पत्ती रो गया
घंटियाँ बजने से पहले शाम होने के क़रीब
दिन का समय है, चौक कुएँ का और बाँकों के जाल
दिल के दाग़ में सीसा है और ज़ख़्म-ए-जिगर में ताँबा है
चाँदी वाले, शीशे वाले, आँखों वाले शहर में
बाद-ए-सहरा को रह-ए-शहर पे डाला किस ने
अज़ल के क़िस्सा-गो ने दिल की जो उतारी दास्ताँ
अम्न-क़रियों की शफ़क़-फ़ाम सुनहरी चिड़ियाँ