अली अकबर अब्बास कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अली अकबर अब्बास
नाम | अली अकबर अब्बास |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Akbar Abbas |
जन्म की तारीख | 1948 |
मैं लौह-ए-अर्ज़ पर नाज़िल हुआ सहीफ़ा हूँ
कभी जो नूर का मज़हर रहा है
शुआएँ ऐसे मिरे जिस्म से गुज़रती गईं
पेश हर अहद को इक तेग़ का इम्काँ क्यूँ है
ज़रा हटे तो वो मेहवर से टूट कर ही रहे
उसी पेड़ के नीचे दफ़्न भी होना होगा
मैं खोए जाता हूँ तन्हाइयों की वुसअत में
मैं भरी सड़कों पे भी बे-चाप चलने लग गया
मैं अपने वक़्त में अपनी रिदा में रहता हूँ
कभी सर पे चढ़े कभी सर से गुज़रे कभी पाँव आन गिरे दरिया
फ़रेब-ए-माह-ओ-अंजुम से निकल जाएँ तो अच्छा है
इक सदा की सूरत हम इस हवा में ज़िंदा हैं
अपना आप नहीं है सब कुछ अपने आप से निकलो
ऐ शाएर! तेरा दर्द बड़ा ऐ शाएर! तेरी सोच बड़ी
तलाश-ए-आख़र
कश्फ़
धुँद
ज़रा हटे तो वो मेहवर से टूट कर ही रहे
सारा दिन बे-कार बैठे शाम को घर आ गए
पानी में भी प्यास का इतना ज़हर मिला है
मैं अपने वक़्त में अपनी रिदा में रहता हूँ
किसी पे बार-ए-दिगर भी निगाह कर न सके
कभी सर पे चढ़े कभी सर से गुज़रे कभी पाँव आन गिरे दरिया
जो ख़ुद को पाएँ तो फिर दूसरा तलाश करें
ग़ुबार-ए-नूर है या कहकशाँ है या कुछ और
देखने में लगती थी भीगती सिमटती रात
बोसीदा ख़दशात का मलबा दूर कहीं दफ़नाओ
अपने नाख़ुन अपने चेहरे पर ख़राशें दे गए
अँधेरी बस्तियाँ रौशन मनारे डूब जाएँगे