Sad Poetry of Ali Ahmad Jalili
नाम | अली अहमद जलीली |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Ahmad Jalili |
जन्म की तारीख | 1921 |
मौत की तिथि | 2005 |
नशेमन ही के लुट जाने का ग़म होता तो क्या ग़म था
काटी है ग़म की रात बड़े एहतिराम से
ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
मुस्तहिक़ वो लज़्ज़त-ए-ग़म का नहीं
काटी है ग़म की रात बड़े एहतिराम से
ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
फ़रेब-ए-निकहत-ओ-गुलज़ार से बचाओ मुझे
एक खिड़की गली की खुली रात भर
आज जलती हुई हर शम्अ बुझा दी जाए