अली अहमद जलीली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अली अहमद जलीली
नाम | अली अहमद जलीली |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Ahmad Jalili |
जन्म की तारीख | 1921 |
मौत की तिथि | 2005 |
ये ख़ून रंग-ए-चमन में बदल भी सकता है
उस शजर के साए में बैठा हूँ मैं
रोके से कहीं हादसा-ए-वक़्त रुका है
फिरता हूँ अपना नक़्श-ए-क़दम ढूँडता हुआ
नशेमन ही के लुट जाने का ग़म होता तो क्या ग़म था
लाई है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे
क्या इसी वास्ते सींचा था लहू से अपने
किनारों से मुझे ऐ ना-ख़ुदाओ दूर ही रक्खो
काटी है ग़म की रात बड़े एहतिराम से
हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन
ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
एक तहरीर जो उस के हाथों की थी
दूर तक दिल में दिखाई नहीं देता कोई
बन रहे हैं सतह-ए-दिल पर दाएरे
आँधियों का काम चलना है ग़रज़ इस से नहीं
तुम जो आओगे तो मौसम दूसरा हो जाएगा
रोके से कहीं हादसा-ए-वक़्त रुका है
मुस्तहिक़ वो लज़्ज़त-ए-ग़म का नहीं
लाई है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे
काटी है ग़म की रात बड़े एहतिराम से
हमारी आँख ने देखे हैं ऐसे मंज़र भी
ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ
फ़रेब-ए-निकहत-ओ-गुलज़ार से बचाओ मुझे
एक खिड़की गली की खुली रात भर
अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते
आज जलती हुई हर शम्अ बुझा दी जाए