Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_058d14e0f11a2df022d9a7f33b6970ae, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शाम की पुरवाई - अलीना इतरत कविता - Darsaal

शाम की पुरवाई

आज परवाज़ ख़यालों ने जुदा सी पाई

आज फिर भूली हुई याद किसी की आई

जिस्म में साज़ खनकने का हुआ है एहसास

और बजने लगी सरगम सी कहीं ज़ेहन के पास

मेरी ज़ुल्फ़ों ने बिखर कर कोई सरगोशी की

कैसी आवाज़ हुई आज ये ख़ामोशी की

तेरी आहट तिरा अंदाज़ जुदा है अब भी

तू ही दुनिया-ए-मोहब्बत की सदा है अब भी

इस तसव्वुर पे 'अलीना' को हँसी आई है

ये कोई और नहीं शाम की पुरवाई है

(901) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sham Ki Purwai In Hindi By Famous Poet Aleena Itrat. Sham Ki Purwai is written by Aleena Itrat. Complete Poem Sham Ki Purwai in Hindi by Aleena Itrat. Download free Sham Ki Purwai Poem for Youth in PDF. Sham Ki Purwai is a Poem on Inspiration for young students. Share Sham Ki Purwai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.