किसी को ढूँडते हैं हम किसी के पैकर में
किसी का चेहरा किसी से मिलाते रहते हैं
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मैं जिधर जाऊँ मिरा ख़्वाब नज़र आता है
जल बुझा हूँ मैं मगर सारा जहाँ ताक में है
बस एक तिरे ख़्वाब से इंकार नहीं है
अब कितनी कार-आमद जंगल में लग रही है
सियाह रात के बदन पे दाग़ बन के रह गए
थपक थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं
इस फ़ैसले से ख़ुश हैं अफ़राद घर के सारे
मैं जिस जगह भी रहूँगा वहीं पे आएगा
हमेशा दिल में रहता है कभी गोया नहीं जाता
दिल रोता है चेहरा हँसता रहता है
हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूँ मैं
किसी के रस्ते पे कैसे नज़रें जमाए रक्खूँ