Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_24e839d62b2a165450cb5b7fc81ca7aa, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है - आलम ख़ुर्शीद कविता - Darsaal

कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है

कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है

ऐरों ग़ैरों का एहसान उठाना पड़ता है

टेढ़े-मेढ़े रस्तों पर भी ख़्वाबों का पश्तारा

तेरी ख़ातिर मेरी जान उठाना पड़ता है

कब सुनता है नाला कोई शोर-शराबे में

मजबूरी में भी तूफ़ान उठाना पड़ता है

कैसी हवाएँ चलने लगी हैं मेरे बाग़ों में

फूलों को भी अब सामान उठाना पड़ता है

गुल-दस्ते की ख़्वाहिश रखने वालों को अक्सर

कोई ख़ार भरा गुल-दान उठाना पड़ता है

याँ कोई तफ़रीक़ नहीं है शाह गदा सब को

अपना बोझ दिल-ए-नादान उठाना पड़ता है

यूँ मायूस नहीं होते हैं कोई न कोई ग़म

अच्छे अच्छों को हर आन उठाना पड़ता है

मक्कारों की इस दुनिया में कभी कभी 'आलम'

अच्छे लोगों को बोहतान उठाना पड़ता है

(1389) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kabhi Kabhi Kitna Nuqsan UThana PaDta Hai In Hindi By Famous Poet Alam Khursheed. Kabhi Kabhi Kitna Nuqsan UThana PaDta Hai is written by Alam Khursheed. Complete Poem Kabhi Kabhi Kitna Nuqsan UThana PaDta Hai in Hindi by Alam Khursheed. Download free Kabhi Kabhi Kitna Nuqsan UThana PaDta Hai Poem for Youth in PDF. Kabhi Kabhi Kitna Nuqsan UThana PaDta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Kabhi Kabhi Kitna Nuqsan UThana PaDta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.