आलम ख़ुर्शीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आलम ख़ुर्शीद

आलम ख़ुर्शीद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आलम ख़ुर्शीद
नामआलम ख़ुर्शीद
अंग्रेज़ी नामAlam Khursheed
जन्म की तारीख1959
जन्म स्थानPatna

तमाम रंग अधूरे लगे तिरे आगे

तहज़ीब की ज़ंजीर से उलझा रहा मैं भी

तब्दीलियों का नश्शा मुझ पर चढ़ा हुआ है

रात गए अक्सर दिल के वीरानों में

पीछे छूटे साथी मुझ को याद आ जाते हैं

माँगती है अब मोहब्बत अपने होने का सुबूत

मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोई

लकीर खींच के बैठी है तिश्नगी मिरी

कुछ रस्ते मुश्किल ही अच्छे लगते हैं

कोई सूरत भी नहीं मिलती किसी सूरत में

किसी को ढूँडते हैं हम किसी के पैकर में

किसी के रस्ते पे कैसे नज़रें जमाए रक्खूँ

कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है

इश्क़ में तहज़ीब के हैं और ही कुछ फ़लसफ़े

इस फ़ैसले से ख़ुश हैं अफ़राद घर के सारे

हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूँ मैं

गुज़िश्ता रुत का अमीं हूँ नए मकान में भी

दिल रोता है चेहरा हँसता रहता है

चारों तरफ़ हैं शोले हम-साए जल रहे हैं

बहुत सुकून से रहते थे हम अँधेरे में

अपनी कहानी दिल में छुपा कर रखते हैं

अहल-ए-हुनर की आँखों में क्यूँ चुभता रहता हूँ

अब कितनी कार-आमद जंगल में लग रही है

आए हो नुमाइश में ज़रा ध्यान भी रखना

ज़रा सी धूप ज़रा सी नमी के आने से

याद करते हो मुझे सूरज निकल जाने के बा'द

तुम जिस को ढूँडते हो ये महफ़िल नहीं है वो

थपक थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं

तिरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ

तह-ब-तह है राज़ कोई आब की तहवील में

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