गहरी सूनी राह और तन्हा सा मैं

गहरी सूनी राह और तन्हा सा मैं

रात अपनी चाप से डरता सा मैं

तू कि मेरा आइना होता हुआ

और तेरे अक्स में ढलता सा मैं

कब तिरे कूचे से कर जाना है कूच

इस तसव्वुर से ही घबराता सा मैं

मेरी राहों के लिए मंज़िल तू ही

तेरे क़दमों के लिए रस्ता सा मैं

आसमाँ में रंग बिखराता सा तू

और सरापा दीद बन जाता सा मैं

हसरत-ए-ताबीर से छूटूँ कभी

हर नफ़स इस ख़्वाब में जलता सा मैं

बे-कराँ होता हुआ दश्त-ए-गुमाँ

और यक़ीं के दार पर आया सा मैं

ना कोई मंज़र न अब कोई ख़याल

अब हर इक शय भूलता जाता सा मैं

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Gahri Suni Rah Aur Tanha Sa Main In Hindi By Famous Poet Akram Naqqash. Gahri Suni Rah Aur Tanha Sa Main is written by Akram Naqqash. Complete Poem Gahri Suni Rah Aur Tanha Sa Main in Hindi by Akram Naqqash. Download free Gahri Suni Rah Aur Tanha Sa Main Poem for Youth in PDF. Gahri Suni Rah Aur Tanha Sa Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Gahri Suni Rah Aur Tanha Sa Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.