Love Poetry of Akram Mahmud
नाम | अकरम महमूद |
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अंग्रेज़ी नाम | Akram Mahmud |
यूँ ही रक्खोगे इम्तिहाँ में क्या
सितारा आँख में दिल में गुलाब क्या रखना
मंज़िल-ए-ख़्वाब है और महव-ए-सफ़र पानी है
कोई हुनर तो मिरी चश्म-ए-अश्क-बार में है
चढ़े हुए हैं जो दरिया उतर भी जाएँगे
अगर हर चीज़ में उस ने असर रक्खा हुआ है
अब दिल भी दुखाओ तो अज़िय्यत नहीं होती
आँख खुलने पे भी होता हूँ उसी ख़्वाब में गुम