अख़्तर ज़ियाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर ज़ियाई
नाम | अख़्तर ज़ियाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Ziai |
कोई इलाज-ए-ग़म-ए-ज़िंदगी बता वाइज़
दफ़अतन आँधियों ने रुख़ बदला
भुला चुके हैं ज़मीन ओ ज़माँ के सब क़िस्से
आस डूबी तो दिल हुआ रौशन
फिर वही शब के सराबों का चलन!
ग़म का आहंग है
आईना देखता हूँ
वो कम-नसीब जो अहद-ए-जफ़ा में रहते हैं
मिला जो कोई यहाँ रम्ज़-आशना न मुझे
इरफ़ान-ओ-आगही के सज़ा-वार हम हुए
दिन ढला शब हुई चराग़ जले
अहद-ए-वफ़ा का क़र्ज़ अदा कर दिया गया
आँख दरिया जिगर लहू करना