Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_46d824f68cad5a7326b4f95a197f3910, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शीशा का आदमी - अख़्तर-उल-ईमान कविता - Darsaal

शीशा का आदमी

उठाओ हाथ कि दस्त-ए-दुआ बुलंद करें

हमारी उम्र का इक और दिन तमाम हुआ

ख़ुदा का शुक्र बजा लाएँ आज के दिन भी

न कोई वाक़िआ गुज़रा न ऐसा काम हुआ

ज़बाँ से कलमा-ए-हक़-रास्त कुछ कहा जाता

ज़मीर जागता और अपना इम्तिहाँ होता

ख़ुदा का शुक्र बजा लाएँ आज का दिन भी

उसी तरह से कटा मुँह-अँधेरे उठ बैठे

प्याली चाय की पी ख़बरें देखीं नाश्ता पर

सुबूत बैठे बसीरत का अपनी देते रहे

ब-ख़ैर ओ ख़ूबी पलट आए जैसे शाम हुई

और अगले रोज़ का मौहूम ख़ौफ़ दिल में लिए

डरे डरे से ज़रा बाल पड़ न जाए कहीं

लिए दिए यूँही बिस्तर में जा के लेट गए

(1070) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Shisha Ka Aadmi In Hindi By Famous Poet Akhtar-ul-Iman. Shisha Ka Aadmi is written by Akhtar-ul-Iman. Complete Poem Shisha Ka Aadmi in Hindi by Akhtar-ul-Iman. Download free Shisha Ka Aadmi Poem for Youth in PDF. Shisha Ka Aadmi is a Poem on Inspiration for young students. Share Shisha Ka Aadmi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.