मुकाफ़ात

अदम वजूद के मा-बैन फ़ासला है बहुत

ये फ़ासला हमें इक रोज़ तय तो करना है

वो किश्त-ए-गुल हो कि हम बोएँ राह में काँटे

कोई भी फ़ेल हो पर एक दिन तो मरना है

हमारे पीछे हैं वो भी हमें अज़ीज़ हैं जो

इसी तरफ़ से उन्हें एक दिन गुज़रना है

सबा-बुरीदा भी गुल हैं वफ़ा गुज़ीदा भी दिल

ये बात ज़ेहन में रखनी है और डरना है

किसी ने पहले लगाए थे साया-दार शजर

इन्हीं की छाँव में बैठे हैं आज हम आ कर

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Mukafat In Hindi By Famous Poet Akhtar-ul-Iman. Mukafat is written by Akhtar-ul-Iman. Complete Poem Mukafat in Hindi by Akhtar-ul-Iman. Download free Mukafat Poem for Youth in PDF. Mukafat is a Poem on Inspiration for young students. Share Mukafat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.