ए'तिमाद

बोली ख़ुद-सर हवा एक ज़र्रा है तू

यूँ उड़ा दूँगी मैं, मौज-ए-दरिया बढ़ी

बोली मेरे लिए एक तिनका है तू

यूँ बहा दूँगी मैं, आतिश-ए-तुंद की

इक लपट ने कहा मैं जला डालूँगी

और ज़मीं ने कहा मैं निगल जाऊँगी

मैं ने चेहरे से अपने उलट दी नक़ाब

और हँस कर कहा, मैं सुलैमान हूँ

इब्न-ए-आदम हूँ मैं यानी इंसान हूँ

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Etimad In Hindi By Famous Poet Akhtar-ul-Iman. Etimad is written by Akhtar-ul-Iman. Complete Poem Etimad in Hindi by Akhtar-ul-Iman. Download free Etimad Poem for Youth in PDF. Etimad is a Poem on Inspiration for young students. Share Etimad with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.