Sad Poetry of Akhtar Shumar
नाम | अख्तर शुमार |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Shumar |
जन्म की तारीख | 1960 |
तू ने एक उम्र के बाद पूछा है हाल-ए-दिल
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने
अभी सफ़र में कोई मोड़ ही नहीं आया
ज़रा सी देर थी बस इक दिया जलाना था
या तो सूरज झूट है या फिर ये साया झूट है
उस के नज़दीक ग़म-ए-तर्क-ए-वफ़ा कुछ भी नहीं
तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है
सितारा ले गया है मेरा आसमान से कौन
सारी ख़िल्क़त एक तरफ़ थी और दिवाना एक तरफ़
ख़्वाहिश-ए-जादा-ए-राहत से निकलता कैसे
हिसार-ए-क़र्या-ए-खूँबार से निकलते हुए
अभी दिल में गूँजती आहटें मिरे साथ हैं