याद आओ मुझे लिल्लाह न तुम याद करो
मेरी और अपनी जवानी को न बर्बाद करो
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ग़म-ए-आक़िबत है न फ़िक्र-ए-ज़माना
आश्ना हो कर तग़ाफ़ुल आश्ना क्यूँ हो गए
मोहब्बत की दुनिया में मशहूर कर दूँ
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं
नन्हा क़ासिद
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें
काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या
रिंदों को बहिश्त की ख़बर दे साक़ी
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले
उस के अहद-ए-शबाब में जीना