थक गए हम करते करते इंतिज़ार
इक क़यामत उन का आना हो गया
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जहाँ 'रेहाना' रहती थी
अगर वो अपने हसीन चेहरे को भूल कर बे-नक़ाब कर दे
मुझे ले चल
वक़्त की क़द्र
ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है
बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले
वादा उस माह-रू के आने का
अश्क-बारी न मिटी सीना-फ़िगारी न गई
दावत
बदनाम हो रहा हूँ
मुबारक मुबारक नया साल आया