मुबारक मुबारक नया साल आया
ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Gulzar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1002) Peoples Rate This
ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ
किसी मग़रूर के आगे हमारा सर नहीं झुकता
अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
सू-ए-कलकत्ता जो हम ब-दिल-ए-दीवाना चले
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या
ग़म-ए-आक़िबत है न फ़िक्र-ए-ज़माना
उस मह-जबीं से आज मुलाक़ात हो गई
मय-ख़ाना-ब-दोश हैं घटाएँ साक़ी
अगर वो अपने हसीन चेहरे को भूल कर बे-नक़ाब कर दे
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता
लॉन्ड्री खोली थी उस के इश्क़ में