दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
हाए इस दर्द की दवा क्या है
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(832) Peoples Rate This
मय-ख़ाना-ब-दोश हैं घटाएँ साक़ी
तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओं को जवाँ कर लूँ
एक हुस्न-फ़रोश से
रिंदों को बहिश्त की ख़बर दे साक़ी
मिरी आँखों से ज़ाहिर ख़ूँ-फ़िशानी अब भी होती है
कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता
बस्ती की लड़कियों के नाम
इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ
ओ देस से आने वाले बता
किस को देखा है ये हुआ क्या है
अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है