दिल-ओ-दिमाग़ को रो लूँगा आह कर लूँगा

दिल-ओ-दिमाग़ को रो लूँगा आह कर लूँगा

तुम्हारे इश्क़ में सब कुछ तबाह कर लूँगा

अगर मुझे न मिलीं तुम तुम्हारे सर की क़सम

मैं अपनी सारी जवानी तबाह कर लूँगा

मुझे जो दैर-ओ-हरम में कहीं जगह न मिली

तिरे ख़याल ही को सज्दा-गाह कर लूँगा

जो तुम से कर दिया महरूम आसमाँ ने मुझे

मैं अपनी ज़िंदगी सर्फ़-ए-गुनाह कर लूँगा

रक़ीब से भी मिलूँगा तुम्हारे हुक्म पे मैं

जो अब तलक न किया था अब आह कर लूँगा

तुम्हारी याद में मैं काट दूँगा हश्र से दिन

तुम्हारे हिज्र में रातें सियाह कर लूँगा

सवाब के लिए हो जो गुनह वो ऐन सवाब

ख़ुदा के नाम पे भी इक गुनाह कर लूँगा

हरीम-ए-हज़रत-ए-सलमा की सम्त जाता हूँ

हुआ न ज़ब्त तो चुपके से आह कर लूँगा

ये नौ-बहार ये अबरू, हवा ये रंग शराब

चलो जो हो सो हो अब तो गुनाह कर लूँगा

किसी हसीने के मासूम इश्क़ में 'अख़्तर'

जवानी क्या है मैं सब कुछ तबाह कर लूँगा

(1026) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil-o-dimagh Ko Ro Lunga Aah Kar Lunga In Hindi By Famous Poet Akhtar Shirani. Dil-o-dimagh Ko Ro Lunga Aah Kar Lunga is written by Akhtar Shirani. Complete Poem Dil-o-dimagh Ko Ro Lunga Aah Kar Lunga in Hindi by Akhtar Shirani. Download free Dil-o-dimagh Ko Ro Lunga Aah Kar Lunga Poem for Youth in PDF. Dil-o-dimagh Ko Ro Lunga Aah Kar Lunga is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil-o-dimagh Ko Ro Lunga Aah Kar Lunga with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.