बरखा-रुत
आसमाँ पर छा रहा है अब्र-पारों का हुजूम!
नौ-बहारों का हुजूम
आह ये रंगीन आवारा नज़ारों का हुजूम
कोहसारों का हुजूम
बदलियाँ हैं या किसी के भूले-बिसरे ख़्वाब हैं
बे-ख़ुद ओ बेताब हैं!
या हवा पर तैरता है रूद-बारों का हुजूम
आबशारों का हुजूम
फिरती हैं आवारा मतवाली घटाएँ इस तरह
और हवाएँ इस तरह
झूमता फिरता हो जैसे मय-गुसारों का हुजूम
बादा-ख़्वारों का हुजूम
वादी-ए-गंगा है, बरखा-रुत है, काली रात है
रात है बरसात है
और फ़ज़ा में तैरने वाले नज़ारों का हुजूम
नश्शा-ज़ारों का हुजूम
नील-गूँ परियाँ उफ़ुक़ में पर हैं फैलाए हुए
बाल बिखराए हुए
या उमँड आया है सावन की बहारों का हुजूम
अब्र-पारों का हुजूम
नन्ही नन्ही बूँदें गिरती हैं हिजाब-ए-अब्र से
या नक़ाब-ए-अब्र से
छन रहा है क़तरे बन बन कर सितारों का हुजूम
नूर-पारों का हुजूम
ये घटाएँ हैं कि ख़्वाबों के सफ़ीने हैं रवाँ
बे-क़रीने हैं रवाँ
बादबानों में छुपाए चश्मा-सारों का हुजूम
जू-ए-बारों का हुजूम
बिजली है या नूर की ज़ंजीर लहराई हुई
पेच-ओ-ख़म खाई हुई
या ख़मीदा मरमरीं फूलों के हारों का हुजूम
और सितारों का हुजूम
ये समाँ बिजली का ये महताब की सी वादियाँ
ख़्वाब की सी वादियाँ
नश्शे में भीगा हुआ ये सब्ज़ा-ज़ारों का हुजूम
कोहसारों में ख़ुशी की बस्तियाँ आबाद हैं
मस्तियाँ आबाद हैं
चार-सू बिखरा पड़ा है सब्ज़ा-ज़ारों का हुजूम
मर्ग़-ज़ारों का हुजूम
यूँ नज़र आते हैं कोहसार-ए-मसूरी दूर से
मस्त से मख़मूर से
जूँ समुंदर से जज़ीरों की क़तारों का हुजूम
सब्ज़ा-ज़ारों का हुजूम
ये सफ़र, ये रात, ये बरसात और फिर हम-सफ़र
अल-अमान ओ अल-हज़र
एक हुस्न-ए-यासमीं रंगीं बहारों का हुजूम
माह-पारों का हुजूम
ये सुहाने मंज़र अख़्तर मुद्दतों याद आएँगे
मुद्दतों तड़पाएँगे
आह ये रात, उफ़ ये मस्ताना नज़ारों का हुजूम
ये बहारों का हुजूम
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