Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c30922d97a8941a4e846c558106b7bf4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ - अख़्तर शीरानी कविता - Darsaal

ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ

ला पिला साक़ी शराब-ए-अर्ग़वानी फिर कहाँ

ज़िंदगानी फिर कहाँ नादाँ जवानी फिर कहाँ

दो घड़ी मिल बैठने को भी ग़नीमत जानिए

उम्र फ़ानी ही सही ये उम्र-ए-फ़ानी फिर कहाँ

आ कि हम भी इक तराना झूम कर गाते चलें

इस चमन के ताएरों की हम-ज़बानी फिर कहाँ

है ज़माना इश्क़-ए-सलमा में गँवा दे ज़िंदगी

ये ज़माना फिर कहाँ ये ज़िंदगानी फिर कहाँ

एक ही बस्ती में हैं आसाँ है मिलना आ मिलो

क्या ख़बर ले जाए दौर-ए-आसमानी फिर कहाँ

फ़स्ल-ए-गुल जाने को है दौर-ए-ख़िज़ाँ आने को है

ये चमन ये बुलबुलें ये नग़्मा-ख़्वानी फिर कहाँ

फूल चुन जी खोल कर ऐश-ओ-तरब के फूल चुन

मौसम-ए-गुल फिर कहाँ फस्ल-ए-जवानी फिर कहाँ

आख़िरी रात आ गई जी भर के मिल लें आज तो

तुम से मिलने देगा दौर-ए-आसमानी फिर कहाँ

आज आए हो तो सुनते जाओ ये ताज़ा ग़ज़ल

वर्ना 'अख़्तर' फिर कहाँ ये शेर-ख़्वानी फिर कहाँ

(1310) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

La Pila Saqi Sharab-e-arghawani Phir Kahan In Hindi By Famous Poet Akhtar Shirani. La Pila Saqi Sharab-e-arghawani Phir Kahan is written by Akhtar Shirani. Complete Poem La Pila Saqi Sharab-e-arghawani Phir Kahan in Hindi by Akhtar Shirani. Download free La Pila Saqi Sharab-e-arghawani Phir Kahan Poem for Youth in PDF. La Pila Saqi Sharab-e-arghawani Phir Kahan is a Poem on Inspiration for young students. Share La Pila Saqi Sharab-e-arghawani Phir Kahan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.