Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7c8f089dde1e8550ad64351d764e2053, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं - अख़्तर शीरानी कविता - Darsaal

किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं

किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं

मय-कदे हाथ बढ़ाते हैं जिधर जाते हैं

दिल में अरमान-ए-विसाल आँख में तूफ़ान-ए-जमाल

होश बाक़ी नहीं जाने का मगर जाते हैं

भूलती ही नहीं दिल को तिरी मस्ताना निगाह

साथ जाता है ये मय-ख़ाना जिधर जाते हैं

पासबानान-ए-हया क्या हुए ऐ दौलत-ए-हुस्न

हम चुरा कर तिरी दुज़-दीदा नज़र जाते हैं

पुर्सिश-ए-दिल तो कुजा ये भी न पूछा उस ने

हम मुसाफ़िर किधर आए थे किधर जाते हैं

चश्म-ए-हैराँ में समाए हैं ये किस के जल्वे

तूर हर गाम पे रक़्साँ हैं जिधर जाते हैं

जिस तरह भूले मुसाफ़िर कोई सामाँ अपना

हम यहाँ भूल के दिल और नज़र जाते हैं

कितने बेदर्द हैं इस शहर के रहने वाले

राह में छीन के दिल कहते हैं घर जाते हैं

अगले वक़्तों में लुटा करते थे रह-रौ अक्सर

हम तो इस अहद में भी लुट के मगर जाते हैं

फ़ैज़ाबाद से पहुँचा हमें ये फ़ैज़ 'अख़्तर'

कि जिगर पर लिए हम दाग़-ए-जिगर जाते हैं

(869) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kis Ki Aankhon Ka Liye Dil Pe Asar Jate Hain In Hindi By Famous Poet Akhtar Shirani. Kis Ki Aankhon Ka Liye Dil Pe Asar Jate Hain is written by Akhtar Shirani. Complete Poem Kis Ki Aankhon Ka Liye Dil Pe Asar Jate Hain in Hindi by Akhtar Shirani. Download free Kis Ki Aankhon Ka Liye Dil Pe Asar Jate Hain Poem for Youth in PDF. Kis Ki Aankhon Ka Liye Dil Pe Asar Jate Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Kis Ki Aankhon Ka Liye Dil Pe Asar Jate Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.