Sad Poetry of Akhtar Shahjahanpuri
नाम | अख़तर शाहजहाँपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Shahjahanpuri |
समुंदर सब के सब पायाब से हैं
क़िस्मत में दर्द है तो दवा ही न लाऊँगा
कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में
जो क़तरे में समुंदर देखते हैं
जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है
जो फ़क़त शोख़ी-ए-तहरीर भी हो सकती है
जब मुख़ालिफ़ मिरा राज़-दाँ हो गया
हाथ जब मौसम के गीले हो गए हैं
दिल बहलने के वसीले दे गया वो