Hope Poetry of Akhtar Shahjahanpuri
नाम | अख़तर शाहजहाँपुरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Shahjahanpuri |
यारान-ए-तेज़-गाम से रंजिश कहाँ है अब
वक़्त बे-रहम है मक़्तल की ज़मीनों जैसा
राह-ए-वफ़ा में कोई हमें जानता न था
क़िस्मत में दर्द है तो दवा ही न लाऊँगा
कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में
जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है
जो फ़क़त शोख़ी-ए-तहरीर भी हो सकती है
जब मुख़ालिफ़ मिरा राज़-दाँ हो गया
हाथ जब मौसम के गीले हो गए हैं
इक उम्र भटकते रहे घर ही नहीं आया
अगर बुलंदी का मेरी वो ए'तिराफ़ करे