जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है

जो पलकों पर मिरी ठहरा हुआ है

वो आँसू ख़ून में डूबा हुआ है

फ़रिश्ते ख़्वान ले कर आ रहे हैं

सहीफ़ा ताक़ में रक्खा हुआ है

कोई अनहोनी शायद हो गई फिर

ग़ुबार-ए-कारवाँ ठहरा हुआ है

किसी की ख़्वाहिशें पा-बस्ता कर के

ये कब सोचा हरम रुस्वा हुआ है

वो इक लम्हा जो तेरे वस्ल का था

बयाज़-ए-हिज्र पर लिक्खा हुआ है

मुझे भी हो गया इरफ़ान-ए-ज़ात अब

मुक़ाबिल आइना रक्खा हुआ है

अयादत करने सब आए हैं 'अख़्तर'

तिरा चेहरा मगर उतरा हुआ है

(812) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jo Palkon Par Meri Thahra Hua Hai In Hindi By Famous Poet Akhtar Shahjahanpuri. Jo Palkon Par Meri Thahra Hua Hai is written by Akhtar Shahjahanpuri. Complete Poem Jo Palkon Par Meri Thahra Hua Hai in Hindi by Akhtar Shahjahanpuri. Download free Jo Palkon Par Meri Thahra Hua Hai Poem for Youth in PDF. Jo Palkon Par Meri Thahra Hua Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jo Palkon Par Meri Thahra Hua Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.