बंद रक्खोगे दरीचे दिल के यारो कब तलक
कोई दस्तक दे रहा है उठ के देखो तो सही
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है
निगाहें मुंतज़िर हैं किस की दिल को जुस्तुजू क्या है
दीदनी है ज़ख़्म-ए-दिल और आप से पर्दा भी क्या
मुद्दत से लापता है ख़ुदा जाने क्या हुआ
ज़िंदगी क्या हुए वो अपने ज़माने वाले
ये बे-सबब नहीं आए हैं आँख में आँसू
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है
ये दश्त वो है जहाँ रास्ता नहीं मिलता
मआल-ए-गर्दिश-ए-लैल-ओ-नहार कुछ भी नहीं
कहें किस से हमारा खो गया क्या
बला-ए-तीरा-शबी का जवाब ले आए
इसी मोड़ पर हम हुए थे जुदा