अख़्तर नज़्मी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर नज़्मी
नाम | अख़्तर नज़्मी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Nazmi |
वो ज़हर देता तो बद-नाम हो गया होता
नाव काग़ज़ की छोड़ दी मैं ने
मिरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता
अब नहीं लौट के आने वाला
ये आने वाला ज़माना हमें बताएगा
सिलसिला ज़ख़्म ज़ख़्म जारी है
लिखा है मुझ को भी लिखना पड़ा है
ख़याल उसी की तरफ़ बार बार जाता है
कब लोगों ने अल्फ़ाज़ के पत्थर नहीं फेंके
जो भी मिल जाता है घर-बार को दे देता हूँ
अब नहीं लौट के आने वाला