Hope Poetry of Akhtar Muslimi
नाम | अख़तर मुस्लिमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Muslimi |
कविताएं
Ghazal 10
Couplets 24
Love 18
Sad 20
Heart Broken 12
Bewafa 2
Hope 7
Friendship 3
Islamic 2
ख्वाब 2
Sharab 3
सब्र-ओ-क़रार-ए-दिल मिरे जाने कहाँ चले गए
देहात के बसने वाले तो इख़्लास के पैकर होते हैं
शिकवा इस का तो नहीं है जो करम छोड़ दिया
नाले मिरे जब तक मिरे काम आते रहेंगे
किस को कहते हैं जफ़ा क्या है वफ़ा याद नहीं
दिल ही रह-ए-तलब में न खोना पड़ा मुझे
दरिया नज़र न आए न सहरा दिखाई दे