थीं तुम्हारी जिस पे नवाज़िशें कभी तुम भी जिस पे थे मेहरबाँ
थीं तुम्हारी जिस पे नवाज़िशें कभी तुम भी जिस पे थे मेहरबाँ
ये वही है 'अख़्तर'-ए-मुस्लिमी तुम्हें याद हो कि न याद हो
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थीं तुम्हारी जिस पे नवाज़िशें कभी तुम भी जिस पे थे मेहरबाँ
ये वही है 'अख़्तर'-ए-मुस्लिमी तुम्हें याद हो कि न याद हो
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