देहात के बसने वाले तो इख़्लास के पैकर होते हैं
देहात के बसने वाले तो इख़्लास के पैकर होते हैं
ऐ काश नई तहज़ीब की रौ शहरों से न आती गाँव में
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देहात के बसने वाले तो इख़्लास के पैकर होते हैं
ऐ काश नई तहज़ीब की रौ शहरों से न आती गाँव में
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