अजीब उलझन में तू ने डाला मुझे भी ऐ गर्दिश-ए-ज़माना
अजीब उलझन में तू ने डाला मुझे भी ऐ गर्दिश-ए-ज़माना
सुकून मिलता नहीं क़फ़स में न रास आता है आशियाना
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अजीब उलझन में तू ने डाला मुझे भी ऐ गर्दिश-ए-ज़माना
सुकून मिलता नहीं क़फ़स में न रास आता है आशियाना
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