Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ob4bb3lva7i798uc7s2viadbq2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल में टीसें जाग उठती हैं पहलू बदलते वक़्त बहुत - अख्तर लख़नवी कविता - Darsaal

दिल में टीसें जाग उठती हैं पहलू बदलते वक़्त बहुत

दिल में टीसें जाग उठती हैं पहलू बदलते वक़्त बहुत

अपना ज़माना याद आता है सूरज ढलते वक़्त बहुत

वो परचम वो सर के तुर्रे और वो सफ़ीने अपने थे

जिन को देख के शो'ले भी रोए थे जलते वक़्त बहुत

उन शीशों के रेज़ों का मरहम है अपने ज़ख़्मों पर

लम्हा लम्हा जो टूटे तलवारें चलते वक़्त बहुत

पल भर में पानी होते देखे हैं सनम किरदारों के

हम कैसे कह दें लगता है संग पिघलते वक़्त बहुत

सूने कितने बाम हुए कितने आँगन बे-नूर हुए

चाँद से चेहरे याद आते हैं चाँद निकलते वक़्त बहुत

अब हर घर की चौखट हम पर हँसती है तो राज़ खुला

फूट फूट कर रोई थीं क्यूँ दहलीज़ें चलते वक़्त बहुत

दो नस्लों की कश्ती थी वो पिछले दिनों जो डूब गई

भीगे जिस्मों वालो लगेगा तुम को सँभलते वक़्त बहुत

(674) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Mein Tisen Jag UThti Hain Pahlu Badalte Waqt Bahut In Hindi By Famous Poet Akhtar Lakhnvi. Dil Mein Tisen Jag UThti Hain Pahlu Badalte Waqt Bahut is written by Akhtar Lakhnvi. Complete Poem Dil Mein Tisen Jag UThti Hain Pahlu Badalte Waqt Bahut in Hindi by Akhtar Lakhnvi. Download free Dil Mein Tisen Jag UThti Hain Pahlu Badalte Waqt Bahut Poem for Youth in PDF. Dil Mein Tisen Jag UThti Hain Pahlu Badalte Waqt Bahut is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Mein Tisen Jag UThti Hain Pahlu Badalte Waqt Bahut with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.