Hope Poetry of Akhtar Imam Rizvi
नाम | अख़तर इमाम रिज़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Imam Rizvi |
वो ख़ुद तो मर ही गया था मुझे भी मार गया
जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को
अपना दुख अपना है प्यारे ग़ैर को क्यूँ उलझाओगे
नाम | अख़तर इमाम रिज़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Imam Rizvi |
वो ख़ुद तो मर ही गया था मुझे भी मार गया
जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को
अपना दुख अपना है प्यारे ग़ैर को क्यूँ उलझाओगे