Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ine1llpceipmbu48bvgtg54kh2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जो संग हो के मुलाएम है सादगी की तरह - अख़तर इमाम रिज़वी कविता - Darsaal

जो संग हो के मुलाएम है सादगी की तरह

जो संग हो के मुलाएम है सादगी की तरह

पिघल रहा है मिरे दिल में चाँदनी की तरह

मुझे पुकारो तो दीवार हूँ सुनो तो सदा

मैं गूँजता हूँ फ़ज़ाओं में ख़ामुशी की तरह

मैं उस को नूर का पैकर कहूँ कि जान-ए-ख़याल

जो मेरे दिल पे उतरता है शाइरी की तरह

किसी की याद ने महका दिया है ज़ख़्म-ए-तलब

सबा के हाथ से मसली हुई कली की तरह

थका हुआ हूँ किसी साए की तलाश में हूँ

बिछड़ गया हूँ सितारों से रौशनी की तरह

मैं अपने कर्ब में ग़लताँ वो अपने कैफ़ में गुम

है इस की जीत भी मेरी शिकस्त ही की तरह

ख़िज़ाँ के ज़हर का तिरयाक अगर नहीं यारो

गुलों की बात है बे-वक़्त रागनी की तरह

(794) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jo Sang Ho Ke Mulaem Hai Sadgi Ki Tarah In Hindi By Famous Poet Akhtar Imam Rizvi. Jo Sang Ho Ke Mulaem Hai Sadgi Ki Tarah is written by Akhtar Imam Rizvi. Complete Poem Jo Sang Ho Ke Mulaem Hai Sadgi Ki Tarah in Hindi by Akhtar Imam Rizvi. Download free Jo Sang Ho Ke Mulaem Hai Sadgi Ki Tarah Poem for Youth in PDF. Jo Sang Ho Ke Mulaem Hai Sadgi Ki Tarah is a Poem on Inspiration for young students. Share Jo Sang Ho Ke Mulaem Hai Sadgi Ki Tarah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.