Baarish Poetry of Akhtar Hoshiyarpuri
नाम | अख़्तर होशियारपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Hoshiyarpuri |
जन्म की तारीख | 1918 |
मौत की तिथि | 2007 |
जन्म स्थान | Rawalpindi |
कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए
वो ज़िंदगी है उस को ख़फ़ा क्या करे कोई
शायान-ए-ज़िंदगी न थे हम मो'तबर न थे
मैं ने यूँ देखा उसे जैसे कभी देखा न था
क्या पूछते हो मुझ से कि मैं किस नगर का था
ख़्वाहिशें इतनी बढ़ीं इंसान आधा रह गया
ख़्वाब-महल में कौन सर-ए-शाम आ कर पत्थर मारता है
बारहा ठिठका हूँ ख़ुद भी अपना साया देख कर