मिरी गली के मकीं ये मिरे रफ़ीक़-ए-सफ़र
ये लोग वो हैं जो चेहरे बदलते रहते हैं
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
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थी तितलियों के तआ'क़ुब में ज़िंदगी मेरी
होंटों पे क़र्ज़-ए-हर्फ़-ए-वफ़ा उम्र भर रहा
ज़माना अपनी उर्यानी पे ख़ूँ रोएगा कब तक
ख़्वाब-महल में कौन सर-ए-शाम आ कर पत्थर मारता है
था एक साया सा पीछे पीछे जो मुड़ के देखा तो कुछ नहीं था
हरीफ़-ए-दास्ताँ करना पड़ा है
अपने क़दमों ही की आवाज़ से चौंका होता
चमन के रंग-ओ-बू ने इस क़दर धोका दिया मुझ को
वो रतजगा था कि अफ़्सून-ए-ख़्वाब तारी था
अपना साया भी न हम-राह सफ़र में रखना
जो मुझ को देख के कल रात रो पड़ा था बहुत
शायान-ए-ज़िंदगी न थे हम मो'तबर न थे