मैं ने यूँ देखा उसे जैसे कभी देखा न था

मैं ने यूँ देखा उसे जैसे कभी देखा न था

और जब देखा तो आँखों पर यक़ीं आता न था

बाम-ओ-दर से सख़्त बारिश में भी उट्ठेगा धुआँ

यूँ भी होता है मोहब्बत में कभी सोचा न था

आँधियों को रौज़न-ए-ज़िंदाँ से हम देखा किए

दूर तक फैला हुआ सहरा था नक़्श-ए-पा न था

लोग लाए हैं कहाँ से शब को मरमर के चराग़

उन चटानों में तो दिन को रास्ता पैदा न था

शहर की हंगामा-आराई में खो कर रह गया

मैं कि अपने घर में भी मुझ को सुकूँ मिलता न था

बर्फ़ अपने-आप घुल जाती है सूरज हो न हो

शाम से पहले ये जाना था मगर समझा न था

उन दिनों भी शहर में सैलाब आते थे बहुत

वादियों में जब कहीं बादल अभी बरसा न था

रात की तन्हाइयों में जिस से चौंक उठ्ठे थे हम

अपनी ही आवाज़ थी शो'ला कोई चमका न था

वो भी सच कहते हैं 'अख़्तर' लोग बेगाने हुए

हम भी सच्चे हैं कि दुनिया का चलन ऐसा न था

(681) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Maine Yun Dekha Use Jaise Kabhi Dekha Na Tha In Hindi By Famous Poet Akhtar Hoshiyarpuri. Maine Yun Dekha Use Jaise Kabhi Dekha Na Tha is written by Akhtar Hoshiyarpuri. Complete Poem Maine Yun Dekha Use Jaise Kabhi Dekha Na Tha in Hindi by Akhtar Hoshiyarpuri. Download free Maine Yun Dekha Use Jaise Kabhi Dekha Na Tha Poem for Youth in PDF. Maine Yun Dekha Use Jaise Kabhi Dekha Na Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Maine Yun Dekha Use Jaise Kabhi Dekha Na Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.