दिल में इक जज़्बा-ए-बेदाद-ओ-जफ़ा ही होगा

दिल में इक जज़्बा-ए-बेदाद-ओ-जफ़ा ही होगा

वो ख़ुदा-वंद भी होगा तो ख़ुदा ही होगा

गर्द सी उड़ती नज़र आती है आँधी होगी

दूर तक नक़्श-ए-क़दम हैं कोई राही होगा

हम से जो पूछना है पूछ लो वर्ना कल तक

किस को अंदाज़ा-ए-ना-कर्दा-गुनाही होगा

कहीं गिरती हुई दीवारें कहीं झुकती छतें

आप कहते हैं तो ये क़स्र-ए-वफ़ा ही होगा

फूल से तरसते हुए लोग ख़राबों में कहाँ

दश्त-ए-वहशत में कोई आबला-पा ही होगा

जाते जाते मिरे दरवाज़े के पट खोल गई

ये भी 'अख़्तर' कोई अंदाज़-ए-सबा ही होगा

(677) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Mein Ek Jazba-e-bedad-o-jafa Hi Hoga In Hindi By Famous Poet Akhtar Hoshiyarpuri. Dil Mein Ek Jazba-e-bedad-o-jafa Hi Hoga is written by Akhtar Hoshiyarpuri. Complete Poem Dil Mein Ek Jazba-e-bedad-o-jafa Hi Hoga in Hindi by Akhtar Hoshiyarpuri. Download free Dil Mein Ek Jazba-e-bedad-o-jafa Hi Hoga Poem for Youth in PDF. Dil Mein Ek Jazba-e-bedad-o-jafa Hi Hoga is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Mein Ek Jazba-e-bedad-o-jafa Hi Hoga with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.