Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7f7v1r3mpmrnbghvlliuce0h67, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपने क़दमों ही की आवाज़ से चौंका होता - अख़्तर होशियारपुरी कविता - Darsaal

अपने क़दमों ही की आवाज़ से चौंका होता

अपने क़दमों ही की आवाज़ से चौंका होता

यूँ मिरे पास से हो कर कोई गुज़रा होता

चाँदनी से भी सुलग उठता है वीराना-ए-जाँ

ये अगर जानते सूरज ही को चाहा होता

ज़िंदगी ख़्वाब-ए-परेशाँ है बहार एक ख़याल

इन को मिलने से बहुत पहले ये सोचा होता

दोपहर गुज़री मगर धूप का आलम है वही

कोई साया किसी दीवार से उतरा होता

रेत उड़ उड़ के हवाओं में चली आती है

शहर-ए-अरमाँ सर-ए-सहरा न बसाया होता

आरज़ू उम्र-ए-गुरेज़ाँ तो नहीं तुम तो नहीं

ये सरकता हुआ लम्हा कहीं ठहरा होता

पीछे पीछे कोई साया सा चला आता था

हाए वो कौन था मुड़ कर उसे देखा होता

तुझ से यक गो न तअ'ल्लुक़ मुझे इक उम्र से था

ज़िंदगी तू ने ही बढ़ कर मुझे रोका होता

जाने क्या सोच के लोगों ने बुझाए हैं चराग़

रात कटती तो सहर होती उजाला होता

अपने दामन को जला कर मैं चराग़ाँ करता

अगर इस राख में 'अख़्तर' कोई शो'ला होता

(685) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Apne Qadmon Hi Ki Aawaz Se Chaunka Hota In Hindi By Famous Poet Akhtar Hoshiyarpuri. Apne Qadmon Hi Ki Aawaz Se Chaunka Hota is written by Akhtar Hoshiyarpuri. Complete Poem Apne Qadmon Hi Ki Aawaz Se Chaunka Hota in Hindi by Akhtar Hoshiyarpuri. Download free Apne Qadmon Hi Ki Aawaz Se Chaunka Hota Poem for Youth in PDF. Apne Qadmon Hi Ki Aawaz Se Chaunka Hota is a Poem on Inspiration for young students. Share Apne Qadmon Hi Ki Aawaz Se Chaunka Hota with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.