अख़तर बस्तवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़तर बस्तवी
नाम | अख़तर बस्तवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Bastavi |
कीजिए किस किस से आख़िर ना-शनासी का गिला
बरसों से इस में फल नहीं आए तो क्या हुआ
आसाँ नहीं इंसाफ़ की ज़ंजीर हिलाना
यूँ ख़ुद को ख़्वाहिशात के अक्सर दिखाए रंग
ख़ुद-फ़रामोश जो पाया है मुझे दुनिया ने
चाहो तो मिरा दुख मिरा आज़ार न समझो