Sharab Poetry of Akhtar Ansari
नाम | अख़्तर अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Ansari |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1988 |
ये सनम रिवायत-ओ-नक़्ल के हुबल-ओ-मनात से कम नहीं
तिरा आसमाँ नावकों का ख़ज़ीना हयात-आफ़रीना हयात-आफ़रीना
सीना ख़ूँ से भरा हुआ मेरा
शोले भड़काओ देखते क्या हो
शोले भड़काओ देखते क्या हो
सरशार हूँ छलकते हुए जाम की क़सम
मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में
लुत्फ़ ले ले के पिए हैं क़दह-ए-ग़म क्या क्या
किसी से लड़ाएँ नज़र और झेलें मोहब्बत के ग़म इतनी फ़ुर्सत कहाँ
ख़िज़ाँ में आग लगाओ बहार के दिन हैं