तस्कीन-ए-ग़म-ए-दिल के लिए जीता हूँ
जीता भी नहीं, चाक-ए-जिगर सीता हूँ
ऐ गर्दिश-ए-अय्याम तिरी उम्र दराज़
मैं बादा नहीं तेरा लहू पीता हूँ
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ग़म-ए-दिल का इलाज दुनिया में
ऐ सोज़-ए-जाँ-गुदाज़ अभी मैं जवान हूँ
फुवार, अब्र, परिंदों के गीत, मस्त हवा
मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है
अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
क़ल्ब ज़िंदा है लफ़्ज़ हैं बे-जान
तक़दीर-ए-अज़ल आह तो भरती होगी
कोई रोए तो मैं बे-वजह ख़ुद भी रोने लगता हूँ
सरशार हूँ छलकते हुए जाम की क़सम
बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-ईद में हैं मगन
उजड़ी दुनिया को बसाया है ज़रा देखो तो
ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं