जीने की ब-ज़ाहिर नहीं कुछ आस हमें
ले डूबेगी इक रोज़ यही प्यास हमें
लो ख़त्म हुआ आज फ़रेब-ए-उम्मीद
अब यास की जानिब से भी है यास हमें
Jaun Eliya
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(865) Peoples Rate This
पानी ले सकते हैं दरिया से मगर कूज़े में हम
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं
अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं
गुलशन-ए-आरज़ू की दीद के ब'अद
क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है
एक सब्र-आज़मा जुदाई है
रात को बैठ कर लब-ए-दरिया
सच तो ये है जहाँ में मेरे ब'अद
दिन मुरादों के ऐश की रातें