उम्र भर जीने की तोहमत भी उठेगी या-रब
और फिर हश्र की ज़हमत भी उठेगी या-रब
लेकिन अपना ये जुनूँ हाए ये जिंस-ए-नायाब
कभी इस जिंस की क़ीमत भी उठेगी या-रब
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फुवार, अब्र, परिंदों के गीत, मस्त हवा
पिहना-ए-आसमाँ पे हैं तारी उदासियाँ
मुतरिब-ए-दिल की वो तानें क्या हुईं
दूसरों का दर्द 'अख़्तर' मेरे दिल का दर्द है
तिरा आसमाँ नावकों का ख़ज़ीना हयात-आफ़रीना हयात-आफ़रीना
अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू
उमर भर जीने की तोहमत भी उठेगी या-रब
बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-ईद में हैं मगन
गीत के हाथों लुटा जाता हूँ मैं
आता नहीं साँसों में मज़ा पीने का
एक तस्वीर खींच दी गोया
नींद आती है इस तरह शब को